Monday, 23 September 2013

और फिर … " सुबह हो गई !!! "


रात के ख्वाब ने ,
पलकों का अंजुमन 
छोड़ा नहीं  … 
                                   और उन में तुमने , 
                                     मेरा आँचल , 
                                 छोड़ा  नहीं … 


तेरी टकटकी ने , 
एक बार भी ,
पलकें उठाने की मोहलत  न दी  ….

                       
                        और फिर  … "  सुबह हो गई  !!!  " 
 





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on a different note 


रात का नशा अभी आँख से  गया नहीं

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आँखों में कल रात का  बचा हुआ काजल .…
 बाक़ी रह गई नींद 
कुछ अधूरे ख्वाब 
बासी ख़याल 
अनबूझे सवाल 
कुछ मद्धम चलती हुई सांस 
                  --- सब शिकायतें करते हैं मुझ से, 
                        अधूरेपन की . . 
तब मैं कहती हूँ  उन सब से --  " उसे आने दो !!!  "

 


Tuesday, 17 September 2013

रात भी , चाँद भी , हम - दोनों भी !!!

कुछ यूँ ही,  छुप  कर , 
उन  झरोखों से , तुम हमें देखा किए । 
तुम बिन हम कम जिए , 
तो तुम भी तो तड़पा किए …. 

तसव्वुर की चाहत , 
कुछ यूँ दबी रह गयी । 
कोई काफिया ग़ज़ल में ,
मुक़म्मल ना  हो पाया जैसे  …. 

रात भी , चाँद भी , 
हम - दोनों भी ,
चलते रहे , जलते रहे  …. 
अधूरे ही  !!!

हवाओं के ये हसीन , 
सर्द झोंके … 
जाएं यादों के उस जहाँ में , 
मुझे ले  के  … 

जिस मोड़ पे ,
 अधूरी सी , एक कहानी है  …. 
वो जो इनकार की हक़ीक़त  , 
तुम्हें बतानी है  !!!!