रात के ख्वाब ने ,
पलकों का अंजुमन
छोड़ा नहीं …
और उन में तुमने ,
मेरा आँचल ,
छोड़ा नहीं …
तेरी टकटकी ने ,
एक बार भी ,
पलकें उठाने की मोहलत न दी ….
और फिर … " सुबह हो गई !!! "
===========================
on a different note
रात का नशा अभी आँख से गया नहीं
===========================
आँखों में कल रात का बचा हुआ काजल .…
बाक़ी रह गई नींद
कुछ अधूरे ख्वाब
बासी ख़याल
अनबूझे सवाल
कुछ मद्धम चलती हुई सांस
--- सब शिकायतें करते हैं मुझ से,
अधूरेपन की . .
तब मैं कहती हूँ उन सब से -- " उसे आने दो !!! "