Monday, 19 November 2012

तूफ़ान या नज़ारा ?




people really njoy the  repurcussions in othr's life. Rude ryt, bt dats the ironny.  they happily call it saddistic pleasure !!!
I have met many or happened 2 meet unfortunately many of the race .. Lines dedicated 2 them !
किनारों पे बैठ कर तो ,
तूफ़ान भी नज़ारा लगता है
कभी पूछो दिल का हाल जब 
अपनी कश्ती भंवर में फंसती है 
दिल कहता है बोलूं की बक्शो
कुछ खुश्क हवाएं इनको भी
पर ये जिरह  नापाक  सी लगती है 
ये किताब-ए-शराफ़त में बददुआ होगी !

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