Monday, 19 November 2012

एक ज़िरह !


though unwillingly , we come across certain situations in life where we have to quesn the insticts of our relations with our loved ones ! !
Believe  me thats the testing time 4 any relation . Here is a query being put in front of a man and the Almighty ...


तू कभी तो खुशीयाँ दो-चार बक्श देता है 

बदले में गमभी तो हज़ार देता है 


होठों के बरीचोंस इ मुस्कान अभी ख़तम  भी ना  हुई थी 

की पलकों पर आंसूकी बूँदें सजा दी तुमने ?

सपने तो  दिखाता है बड़े रंगीन खुशरंग वाले 

उनके पूरा होने से पहले ही नींद से जगा देता है तू .


मुझसे कहते हो " मेरा बंदा है तू "

और शिकायत करने का हक़ भी नहीं देता ? :(


ये कैसा रिश्ता है अपना ख़ुदा ?
ये कैसा रिश्ता है अपना  ?

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