दिल खामोश है , बंद जुबां है ..,
शर्म से झुकी गर्दन पे हर वक़्त लटकी तलवार सी है ..
साँसों पे भी गहरा पहरा , परिवार के अन्दर भी खतरा ...
अपने पिता क घर में भी नहीं, तो बेटी महफूज़ कहाँ है ????
aaj fir ek arse se baad ..
kuch hulchal si hai..